कानपुर में जहां सीवर गिरता था, आज वहां सेल्फी प्वाइंट है: सीएम योगी
एनडीआरएफ के जवान गंगा जी में पहले जब गोता लगाते थे, तो उनके शरीर में लाल-लाल चकत्ते निकल जाते थे, लेकिन आज कोई चकत्ता नहीं निकलता

- 2017 के पहले कानपुर में गंगा जी में एक भी जलीय जीव नहीं थे, आज वहां सभी जलीय जीव मिल जाएंगे
- सीएम योगी ने तीन आगरा-चंबल सर्किट, वाराणसी-चंद्रकांता और गोरखपुर-सोहगीबरवा सर्किट को लांच किया
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जलवायु परिवर्तन को लेकर अपने अनुभवों को साझा किया। साथ ही उन्होंने बताया कि किस प्रकार से सामूहिक प्रयासों से इस दिशा में सफलता पाई जा सकती है। उन्होंने प्रदेश में पिछले साढ़े चार साल में हुए परिवर्तनों को उदाहरणों के रूप में बताया। उन्होंने कहा कि कानपुर में जहां कभी सीवर गिरता था, आज वहां सेल्फी प्वाइंट बन चुका है। 2017 के पहले कानपुर में गंगा जी में एक भी जलीय जीव नहीं थे। आज आपको वहां सभी जलीय जीव मिल जाएंगे।
यह बातें उन्होंने गुरुवार को दो दिवसीय उत्तर प्रदेश जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के शुभारंभ के दौरान कहीं। सम्मेलन का आयोजन वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने किया था। सीएम योगी ने कहा कि गंगा जी की पहचान डॉल्फिन से थी। आज आपको डॉल्फिन फिर से देखने को मिल जाएंगीं। मैं वाराणसी में जल स्तर बढ़ने पर गया था। वहां एनडीआरएफ की टीम पिछले तीन सालों से काम करती है। मैंने उनके डीआईजी से पूछा कि क्या आपको गंगा की निर्मलता में कोई परिवर्तन देखने को मिला?,
उन्होंने बताया कि आप अक्तूबर और नवंबर तक आएंगे, तो मैं आपको डॉल्फिन दिखा दूंगा। इससे पहले गंगा जी में डॉल्फिन नहीं दिख रही थी। हमारे जवान गंगा जी में जब प्रैक्टिस और गोता लगाते थे, तो उनके शरीर में लाल लाल चकत्ते निकल जाते थे, लेकिन आज हम गंगा जी में कई बार स्नान कर लेते हैं। आज कोई चकत्ता नहीं निकलता। नमामि गंगे परियोजना के परिणाम स्वरूप यह चीजें हमें देखने को मिल रही हैं।
उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर कहा कि दुधवा हमारे ईको टूरिज्म का बड़ा सेंटर है। दो साल पहले एक वर्ल्ड फेस्टिवल का आयोजन किया गया था, उसमें मैं गया था। उस समय जून का महीना था, बाहर भीषण गर्मी थी। जब मैं अंदर जंगल में गया, तो लखनऊ से करीब सात से आठ डिग्री का टेम्प्रेचर में अंतर था। यह दिखाता है कि यूनाईटेड नेशन ने जो हम सबको चेतावनी दी है कि अगर जलवायु परिवर्तन इसी तरह से होता रहा, तो कितना खराब हो सकता है।
उन्होंने कहा कि मनुष्य एकांगी नहीं है। जैसे हमारा स्वयं का एक जीवन और परिवार होता है। वैसे ही श्रृष्टि का भी एक चक्र होता है और श्रृष्टि चक्र का एक पार्ट मनुष्य है। इसमें वन, पर्यावरण और जीव जंतु भी हैं। सभी उसके हिस्से हैं। यही जीवन चक्र श्रृष्टि का चक्र है।
सीएम योगी ने कार्यक्रम के दौरान कॉफी टेबल बुक का विमोचन किया। साथ ही तीन ईको पर्यटन सर्किट आगरा-चंबल सर्किट, वाराणसी-चंद्रकांता और गोरखपुर-सोहगीबरवा सर्किट को लांच किया। सीएम योगी को वन एवं पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री दारा सिंह चौहान ने दुधवा टाइगर रिजर्व में बाघ संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय मानदंडों पर खरा उतरने पर मिले राष्ट्रीय कैट्स अवार्ड का प्रमाण पत्र सौंपा।
इस दौरान ताइवान के अंबेसडर बौशुआन गेर, एनजीटी के न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल, केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन के राज्य मंत्री अश्वनी कुमार चौबे, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री दौरा सिंह चौहान, विधि एवं न्याय मंत्री बृजेश पाठक, एनजीटी के सदस्य न्यायमूर्ति एसके सिंह, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के राज्य मंत्री अनिल शर्मा और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष जेपीएस राठौर आदि मौजूद थे।
एलईडी स्ट्रीट लाइट से कम किया कार्बन उत्सर्जन और बिजली की खपत
सीएम योगी ने रिन्यूवल एनर्जी को लेकर कहा कि प्रदेश में 2017 में केवल ढाई सौ मेगावाट सोलर एनर्जी का उत्पादन होता था। आज हम लोग करीब दो हजार मेगावाट सोलर एनर्जी का उत्पादन कर रहे हैं। मार्च तक एक हजार मेगावाट और वृद्धि करने जा रहे हैं। इसी प्रकार प्रदेश में 2017 से पहले एक भी सिटी ऐसी नहीं थी, जिसमें एलईडी स्ट्रीट लाइट हो। आज हमारे पास साढ़े 16 लाख से अधिक एलईडी स्ट्रीट लाइट है। इसने कार्बन उत्सर्जन तो कम किया ही है। साथ ही बिजली की खपत को भी कम किया है। प्रदेश में चार करोड़ से अधिक एलईडी बल्ब वितरित किए गए हैं।
शौचालय से दूर हुई गंदगी, समाप्त हुई बीमारियां
सीएम ने कहा कि प्रदेश में दो परिवर्तन आपको देखने को मिलेंगे। 2017 के पहले आप प्रदेश के किसी गांव में गए होंगे, तो गांव की सड़क पैदल चलने लायक नहीं थी, जगह-जगह गंदगी होती थी। आज आप प्रदेश के किसी गांव में चले जाइए, आपको साफ-सुथरा वातावरण देखने को मिलेगा। दो करोड़ 61 लाख जो शौचालय बने हैं, उन्होंने इस स्वच्छता में योगदान दिया है। जिस कारण तमाम प्रकार की बीमारियां समाप्त हुई हैं। प्रदेश के 38 जिले ऐसे थे, जहां पर इंसेफ्लाइटिस से हर साल हजारों मौतें होती थीं। स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन के कारण मात्र तीन-चार वर्षों में मौत के आंकड़ों को 95 फीसदी को नियंत्रित किया जा चुका है।