बलिया में सपा नेता और सीयर के पूर्व ब्लाक प्रमुख गिरफ्तार
वाराणसी ले गई ईओडब्लू की टीम, 20 वर्ष पुराने मामले में हुई कार्रवाई

बलियाः करीब दो दशक पूर्व बलिया के चर्चित खाद्यान घोटाले का जिन्न एकबार फिर निकल गया है। मामले की जांच कर रही वाराणसी आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्ल्यू) की टीम ने गुरुवार की रात बेल्थरारोड से सपा नेता और पूर्व ब्लाक प्रमुख भीमप्रसाद को पकड़ लिया और गिरफ्तार कर वाराणसी ले गई। जिससे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। भीम प्रसाद पूर्व में सपा के अनुसूचित प्रकोष्ठ के विधानसभा अध्यक्ष भी रहे है। आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्लू) वाराणसी से एके सिंह के साथ तीन अधिकारियों की टीम गुरुवार दोपहर में बिल्थरारोड पहुंची और सन 2000 से 2005 तक ब्लाक प्रमुख रहे भीम प्रसाद को उनके गांव से दबोच लिया। साथ ही क्षेत्र के चैनपुर मठिया निवासी कोटेदार विरेंद्र शर्मा को भी पूछताछ के लिए बुलाया। दोनों के साथ अधिकारियों की टीम उभांव थाना पहुंची। ईओडब्ल्यू वाराणसी के तीन अधिकारियों की टीम ने उभांव थाना पर बंद कमरे में काफी देर तक पूछताछ की। बाद में अधिकारियों ने मामले में दागी रहे कोटेदार को छोड़ दिया और पूर्व प्रमुख भीम प्रसाद को देर रात अपने साथ वाराणसी लेते गई। ईओडब्लू वाराणसी के अधिकारी एके सिंह ने शुक्रवार की सुबह मोबाइल पर सीयर पूर्व प्रमुख भीम प्रसाद के गिरफ्तारी की पुष्टि की।
50 लाख के गबन की हो चुकी पुष्टि
आपको बता दें कि बलिया जिले में संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना के तहत खाद्यान वितरण में हुए करोड़ों के घोटाले में आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्लू) जांच कर रही है। केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के तहत संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना (एसजीआरवाई) का क्रियान्वयन बलिया जनपद में वर्ष 2002 से 2005 के बीच किया गया था। इसके तहत श्रमिकों को काम के बदले नगद और अनाज देना था। इस दौरान बड़े पैमाने पर खाद्यान्न की कालाबाजारी की गई थी। मामले में वर्ष 2006 में बलिया जिले के विभिन्न थानों में करीब 50 से अधिक मुकदमे दर्ज हुए और इसकी जांच की जिम्मेदारी ईओडब्लू को सौंपी गई। जांच में जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों ने कोटेदारों से मिलीभगत कर कार्ययोजनाओ की पत्रावलियो पर पेमेंट ऑर्डर, मास्टर रोल एवं खाद्यान्न वितरण रजिस्टर में कूटरचना कर लगभग 20 लाख और लगभग 4400 क्विंटल (कीमत लगभग 30 लाख) का खाद्यान समेत कुल लगभग 50 लाख रुपये का गबन होना पाया गया था। इसके तहत सन 2015, 2018 और 2022 में भी कई गिरफ्तारियां हो चुकी है।