सात साल में आठ गुना बढ़ा है हेल्थ बजट : मनसुख मांडविया
सिद्धार्थनगर में प्रदेश के नौ नवनिर्मित राजकीय मेडिकल कॉलेजों के उद्घाटन पर बोले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री । पीएम मोदी ने पहली बार देश मे हेल्थ को डेवलपमेंट से जोड़ा । एमबीबीएस व आयुष मिलाकर प्रति 850 व्यक्ति पर एक डॉक्टर उपलब्ध ।

सिद्धार्थनगर । केंद्रीय स्वास्थ्य, रसायन एवं उर्वरक मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने कहा है कि देश में हेल्थ को डेवलपमेंट से पहली बार जोड़ने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को है। सात साल पहले देश का हेल्थ बजट 33 हजार करोड़ रुपये था। सात साल में इसमें आठ गुना वृद्धि हुई है। सरकार इस साल हेल्थ सेक्टर पर सवा दो लाख करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है।
डॉ मांडविया सोमवार को सिद्धार्थनगर में पीएम मोदी के हाथों प्रदेश के नौ नए राजकीय मेडिकल कॉलेजों के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश में हर जिले में मेडिकल कॉलेज हो, यह प्रधानमंत्री की दूरदर्शी सोच है। कभी बड़े राज्यों में नौ या उससे ही कम मेडिकल कॉलेज होते थे। आज उत्तर प्रदेश में एक ही दिन में नौ मेडिकल कॉलेज जनता को समर्पित हो रहे हैं।
इससे लोगों को इलाज की सर्वोत्तम सुविधा मिलेगी तो बड़ी संख्या में युवाओं को डॉक्टर बनने का अवसर भी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जहां भी मेडिकल कॉलेज का निर्माण होता है वहां एक इको सिस्टम भी तैयार होता है। रोजगार के अवसर भी बढ़ते हैं। बुद्ध कहते थे, “आपके कर्म आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित करते हैं।” ये मेडिकल कॉलेज आने वाली कई पीढ़ियों की सेवा का माध्यम बनेंगे।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने चिकित्सा शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया है। नेशनल मेडिकल कमीशन का गठन कर इसे एक नई गति दी है। पूरे देश में 157 मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि 2013-14 में देश में मेडिकल यूजी की 51 हजार सीटें थीं जिसमें सात साल में 32 हजार की वृद्धि हुई है। पीजी की सीटें 31 हजार थीं जो आज 55 हजार हो गई हैं।
उन्होंने कहा कि 2013-14 में उत्तर प्रदेश में कुल 30 मेडिकल कॉलेज *सरकारी व प्राइवेट) ही थे सात साल में यह संख्या 66 पर पहुंच गई है। यहां यूजी की सीटे दोगुनी हुई हैं तो पीजी की 18 गुना बढ़ी हैं। बताया कि 2013-14 में उत्तर प्रदेश में पीजी की 148 सीटें ही थीं, आज इनकी संख्या 2800 से अधिक है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मांडविया ने कहा कि डब्ल्यूएचओ कहती है की प्रति 1000 आबादी पर एक डॉक्टर होना चाहिए। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में बेहतर हुई चिकित्सा व्यवस्था के कारण आज एमबीबीएस और आयुष मिलाकर प्रति 850 की आबादी पर एक डॉक्टर उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि ये नए मेडिकल कॉलेज हेल्थ के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की नई कहानी लिखने को तैयार हैं।