आपदा जोखिम कम करने में विशेषज्ञता साझा करने के लिए तैयार है भारत: शाह – CMG TIMES

नयी दिल्ली : केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि भारत आपदा जोखिम में कमी लाने को विशेष महत्त्व देता है और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के बीच अधिक सहयोग तथा आपसी विश्वास के लिए इस क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता एवं अनुभव साझा करने के लिए तैयार है।श्री शाह ने गुरूवार को यहां एससीओ सदस्य देशों के आपात स्थितियों के निवारण और रोकथाम के लिए उत्तरदायी विभागों के प्रमुखों की बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि भारत का मानना है कि कोई भी खतरा छोटा या बड़ा नहीं होता और भारत हर आपदा की स्थिति में आगे बढ़कर काम कर रहा है।
उन्होंने कहा , “ भारत के पास अब एक्यूरेट तथा टाइमली अर्ली वार्निंग सिस्टम्स मौजूद हैं और भारत ने जिस तरह लगभग सभी मौसम संबंधी आपदाओं, जैसे – सूखा, बाढ़, बिजली गिरना, हीट वेव, शीत लहर, चक्रवाती तूफान के अर्ली वानिंग सिस्टम्स में सुधार किया है, उससे देश के आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में एक बड़ा परिवर्तन आया है।”उन्होंने कहा कि ‘अर्ली वार्निंग सिस्टम’ से न केवल आपदा के बारे में पूर्व चेतावनी मिलती है बल्कि इसके संभावित प्रभाव का भी पता चलता है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा के समय इस बात का बहुत महत्व होता है कि प्रभावित स्थान पर सहायता कितनी तेजी से पहुंचाई गई है और टीम की तैयारी और प्रशिक्षण का क्या स्तर है।
गृह मंत्री ने कहा किकि प्रत्येक जीवन, परिवार और आजीविका अमूल्य होते हैं और आपदा से इनकी रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा, “अर्ली वार्निंग सिस्टम्स’ के प्रति भारत का दृष्टिकोण लोगों की सुरक्षा पर आधारित है और हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हमारे पूर्वानुमान सिस्टम्स तथा वार्निंग सिस्टम्स न केवल वैज्ञानिक रूप से अत्याधुनिक हों, बल्कि चेतावनी इस प्रकार कम्युनिकेट हो कि वह आसानी से आम जनता की समझ में आये, उनके लिए उपयोगी और एक्शनेबल हो।”श्री शाह ने कहा कि लोगों को जागरूक तथा समुदायों को अधिकार संपन्न बनाकर सरकार चक्रवातों से होने वाली हानि को कम करने में सफल रही है।
उन्होंने कहा कि चक्रवातों के कारण होने वाली मौतों को कम करने में भारत की इस उपलब्धि की पूरी दुनिया सराहना कर रही है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग से ‘डिजास्टर रिस्क रिडक्शन’ में अनेक महत्त्वपूर्ण पहल की है। उन्होंने कहा कि भारत के नेतृत्व वाले गठबंधन में दुनियाभर से 39 सदस्य जुड़ चुके हैं। संगठन ने सदस्य देशों के साथ यह साझा प्रयास किया है कि ‘इंफ्रास्ट्रक्चर’ के क्षेत्र में सारे निवेश इस प्रकार किए जाएं जिससे यह आपदाओं को रोकने में सक्षम हो। इसके अलावा संगठन विश्व के सर्वाधिक आपदा संभावित क्षेत्रों पर विशेष जोर दे रहा है। साथ ही, भारत की पहल पर जी-20 में ‘डिजास्टर रिस्क रिडक्शन’ संबंधी कार्य-समूह का गठन किया गया है,।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि विगत कुछ वर्षों में एससीओ क्षेत्र को भारी आर्थिक नुकसान वाली भीषण प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा है और दुनिया में कई जगहों पर जलवायु परिवर्तन के कारण आए सूखा, बाढ़, तूफान और समुद्र के जलस्तर में वृद्धि से भारी तबाही हुई है और यह वैश्विक विकास के प्रति एक गंभीर खतरा बन गया है। उन्होंने कहा कि इन खतरों को कम करने के लिए नयी रणनीति बनाने की जरूरत है जिससे अपने और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित विश्व का निर्माण किया जा सके। श्री शाह ने कहा ,“ रिस्क रिडक्शन अब कोई स्थानीय मामला नहीं रह गया है और विश्व के एक हिस्से में किये गए एक्शन से विश्व के दूसरे हिस्सों की जोखिम तीव्रता पर प्रभाव पड़ता है। ”
उन्होंने कहा कि अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों में आपदाओं के बीच साफ तौर पर कोई सबंध ना होने के बावजूद भी आपदाओं के निवारण की चुनौतियाँ विश्वभर में एक समान हैं और इसीलिए, हमें एक-दूसरे से सीखने, नवाचार करने और आपसी सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है।श्री शाह ने जोर देकर कहा, “ जब तक हम एक समूह के रूप में सतत विकास लक्ष्य और सेन्डई फ्रेमवर्क गोल प्राप्त नहीं करते, तब तक इन दोनों फ्रेमवर्क द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को ज़मीन पर उतारना कठिन होगा।” उन्होंने कहा कि इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए, भारत ने पहल करते हुए भूकंप और बाढ़ के प्रभावों में कमी करने पर दो ‘नॉलेज शेयरिंग वर्कशॉप’ का आयोजन किया है।
गृह मंत्री ने कहा कि एससीओ के दृष्टिकोण को और अधिक सुदृढ़ करने की आवश्यकता है, जिसमें पांच प्रमुख क्षेत्र में सहयोग की संभावना है। इन क्षेत्रों में एशिया में परस्पर विश्वास का प्रयास, सामूहिक दायित्व ,संचार और सूचना साझा करने में सहयोग, प्राथमिक क्षेत्रों की पहचान एवं क्षमता निर्माण बढाने में तकनीक विकसित करना शामिल है। ”(वार्ता)
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